Author: Jignesh Ajit Ganatra

अग्नि कांड योग

परिभाषा किसी ऐसे ग्रह आदि पर जो किसी व्यक्ति का पूरा प्रतिनिधित्व करता हो, यदि  अग्निद्योतक ग्रहों यानी लग्नेश, पंचमेश नवमेश का प्रभाव हो तो मनुष्य को अग्नि लग जाने का भय होता है। {…}

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Business in the Doldrums…? Make GOD Your Partner!

Ever thought why a bunch of people are so successful in business and many struggle barely to meet ends. The answer is simple, it is Karma. Again, Karma is classified in three types -Prarabdha {…}

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दुर्लभ अखंड साम्राज्य योग

परिभाषा – लाभेश (ग्यारवे भाव का स्वामी), धर्मेश (नवम भाव का स्वामी) तथा धनेश (दूसरे भाव का स्वामी) इनमें से कोई एक भी ग्रह यदि चंद्र लगन से अथवा लग्न से केंद्र स्थान में {…}

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चंद्र के मकान में रहने के हैं कई फायदे, सुख-समृद्धि के साथ घर में बनी रहती है शांति

लाल किताब के अनुसार यह कहा गया है कि चांद के मकान में रहना बहुत लाभदायक होता है। इससे परिवार वालों का स्वास्थ्य बना रहता है साथ में धन में वृद्धि भी होती है। {…}

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पंच पक्षी शास्त्र

पंच-पक्षीय शास्त्र तमिल भाषा में प्राचीन साहित्य पर आधारित है। पंच का अर्थ है पांच और पाक्षी का अर्थ है पक्षी। पंच-पक्षीय प्रणाली में वैदिक ज्योतिष की पंच-भूता (पंचतत्व) प्रणाली से कुछ समानता है। {…}

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बिल्‍ली की ये चीज लग गई जिसके हाथ, उसे करोड़पति बनने से कोई नहीं रोक सकता

यदि आप मालामाल होने के लिए कई उपाय और प्रयोग कर चुके हैं और अभी तक सफलता आपके हाथ नहीं लगी तो आज का यह उपाय भी करके देखें जरुर ही आपकी किस्मत बदल {…}

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ग्रह एवं बीमारियां

जिस प्रकार राशियों का संबंध शरीर के विभिन्न अंगों से होता है, उसी प्रकार राशियों के स्वामी ग्रहो का भी इन अंगों में होने वाली बीमारियों से अत्यंत घनिष्ठ रिश्ता होता है। इसे निम्नवत {…}

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ऋण से बंधा जातक

१. पितृ ऋण  यदि 5,12, 2, 9 स्थान में कोई भी ग्रह हो तो जातक पितृ ऋण से प्रभावित होगा। अगर नवम स्थान में गुरु के साथ शुक्र स्थित हो, चतुर्थ स्थान में शनि {…}

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दान संबंधी सावधानियां

१. अगर उच्च ग्रह वाला जातक अपने उच्च ग्रह से संबंधित चीज का दान दें या नीच ग्रह से संबंधित किसी चीज का दान ले तो इसका बुरा परिणाम होगा। यह मंदे जहर का {…}

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अनिष्ट ग्रहों का निदान

सूर्य:अगर सूर्य नीच का हो तो ह्रदय रोग, उदर संबंधी विकार, नेत्र संबंधी रोग, धन नाश, ऋण का बोझ, मानहानि, अपयश एवं ऐश्वर्य नाश आदि होते हैं। ऐसे में जातक को सूर्य नमस्कार, सूर्यपूजा, {…}

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