ऋण से बंधा जातक

ऋण से बंधा जातक

१. पितृ ऋण

 यदि 5,12, 2, 9 स्थान में कोई भी ग्रह हो तो जातक पितृ ऋण से प्रभावित होगा। अगर नवम स्थान में गुरु के साथ शुक्र स्थित हो, चतुर्थ स्थान में शनि और केतु हो तथा चंद्रमा दशम स्थान में हो तो जातक पितृ ऋण से पीड़ित होगा।

कारण: खानदान का पुरोहित बदला गया हो या उसका तिरस्कार किया गया हो।

पहचान: पड़ोस के किसी धर्म स्थान, या पीपल के वृक्ष बर्बाद कर चुके हो।

अनिष्ट फल: समय से पहले ही पुरुष या स्त्री के बाल सफेद हो जाए, बरकत समाप्त होती जाए, मानहानि, बनते कार्यों में रुकावट, सुख की जगह दुख तथा निराशा परिलक्षित हो।

उपाय: अगर कुल खानदान के एक-एक व्यक्ति से पैसा वसूल कर धर्म स्थान में दे तो ऐसे अनिष्ट फल का शमन हो जाएगा।

२. स्व ऋण

यदि सूर्य पंचम भाव में हो तो जातक स्व ऋण से पीड़ित होता है।

कारण: जातक का नास्तिक होना और खानदानी रस्मों रिवाजों को ना मानना। उसके घर के भूगर्भ, जमीन के धरातल के अंदर में अग्निकुंड बना हो या उस घर में सूर्य की रोशनी छत में से आ रही हो।

पहचान: जातक स्वयं की पहचान पर अतुल धन संपत्ति अर्जित करता है या मान सम्मान के कारण प्रसिद्ध मिलती है। औरत, दौलत और शोहरत चुटकियों में ही प्राप्त हो जाती है।

अनिष्ट फल: अकस्मात ही प्रभु की विनाश लीला शुरू होती है और दौलत, शोहरत व औरत चुटकियो में खाक हो जाती है। पशुओं का खोना व मरना स्वभाविक हो जाता है। जातक का शरीर निर्बल हो जाता है। मुंह में हमेशा गीलापन सा महसूस होता है। यह घटना तब शुरू होती है, जब जातक के पुत्र की उम्र 12 साल के अंदर होती है।

उपाय: प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें, किसी कार्य को शुरू करने से पहले मुंह मीठा करें और कुछ पानी पिए फिर कार्य को अंजाम दे। अवश्य लाभ होगा।

३. मातृ ऋण

लाल किताब में चतुर्थ स्थान के केतु को चंद्रमा पीड़ित अर्थात मातृ ऋण दोश माना है।

कारण: संतान होने के पश्चात जातक द्वारा माता को कष्ट पहुंचाना, दुख देना और खुद मानसिक रूप से परेशान रहने पर माता को सताना।

पहचान: घर से कुछ दूरी पर स्थित नदी – कुआं पूजने के बजाय कुआं – दरिया में गंदगी डालना मातृ ऋण दोष की ओर इंगित करता है।

अनिष्ट फल: अचानक संपत्ति का नष्ट होना, घर में पशुओं की मृत्यु, शिक्षा प्राप्ति में बाधा, घर में अचानक मृत्यु या मृत्यु तुल्य दशा अथवा आत्महत्या करने की स्थिति पैदा होना। अगर कोई व्यक्ति उपरोक्त स्थिति मे सहायता करने की कोशिश करता है तो वह भी संकटों से घिर जाता है।

उपाय: अपने वंशजों के प्रत्येक व्यक्ति से सम भाग चांदी लेकर नदी में प्रवाहित करें। माता को सम्मान दें, उपहार दे। कष्टों से शीघ्र मुक्ति मिलेगी।

४. स्त्री ऋण

अगर जातक के जन्मांक में द्वितीय सप्तम भाव में सूर्य, चंद्रमा और राहु स्थित हो तो जातक शुक्र से पीड़ित होता है। इस प्रकार उसे स्त्री ऋण का दोष लगता है।

कारण: अज्ञात लालच के कारण प्रसूति के वक्त स्त्री की हत्या कर देना।

पहचान: जातक द्वारा घर में गाय या भैंस को घृणा की दृष्टि से पालना इस दोष को दर्शाता है।

अनिष्ट फल: परिवार में पुरुषों की बीमारी में संचित पूंजी स्वाहा हो जाती है। बेटो एवं पोतो की ही मृत्यु होती है। अचानक ही घर में डाका पड़ता है। सभी प्रकार से धन हानि होनी शुरू हो जाती हैं।

उपाय: १०० स्वस्थ गायों को परिवार मिलकर चारा एवं उत्तम भोजन खिलाए तो स्त्री ऋण से मुक्ति मिल जाती हैं।

५.   रिश्तेदारी का ऋण

यदि जातक के जन्म चक्र में प्रथम अष्टम में बुध या केतु हो तो रिश्तेदारी ऋण का दोष लगता है।

कारण: रिश्तेदारी में किसी व्यक्ति को जहर दे देना, किसी की तैयार फसल में आग लगवा देना या किसी का मकान फूंक देना।

पहचान: जातक रिश्तेदारों एवं संबंधियों से बेहतर वार्तालाप नहीं करता। बालकों के जन्मदिन या अन्य शुभ अवसर पर भाग नहीं लेता। उनसे घृणा करता है। जातक के घर में बालक के जन्म पर ही शुभ लक्षण आने लगते हैं। बालक वयस्क होने के पहले ही अद्भुत कार्य करने लगता है। वह जिस कार्य में हाथ डालता है, अपने आप ही हो जाता है। फल स्वरुप दूर-दूर से लोग मिलने आने लगते हैं। शत्रु मित्र बनने लगते हैं। तात्पर्य यह कि हर जगह उसकी तूती बोलने लगती है। जो शत्रुता करने आता है वह स्वत: ही मिट जाता है।

अनिष्ट फल: अचानक सब कुछ स्वाहा हो जाता है। परेशानियों पर परेशानीया शुरू हो जाती है। समर्थ होने पर भी संतान नहीं होती। अगर होती भी है तो मर जाती है या अपंग हो जाती है। जातक का शरीर निर्बल हो जाता है। एक आंख भी जाती रहती है। वह चिड़चिड़ा हो जाता है। फल स्वरुप क्रोध का आना स्वाभाविक है। ये सारी घटनाएं रिश्तेदारी ऋण दोष के कारण होती है।

उपाय: रिश्तेदारी के ऋण मुक्ति के लिए जातक अपने परिवार के एक-एक सदस्य से पैसा इकट्ठा कर मुफ्त धर्मार्थ औषधालय मे दवाइयां खरीद कर दे। तांबे का सिक्का नदी में प्रवाहित करें।

६. बहन का ऋण

यदि जातक के जन्मांक में तृतीय या षष्टम भाव में चंद्रमा हो तो वह बुध द्वारा पीड़ित रहता है। ऐसे में लड़की बहन के ऋण का दोष लगता है।

कारण: किसी की लडकी यां बहन की हत्या अथवा उस पर हद से ज्यादा जुल्म करना। दूसरों के कम उम्र मासूम बच्चों को बेच देना या उनकी हत्या कर देना।

पहचान: जातक के घर में लड़की या बहन के विवाह या जन्म के समय अशुभ घटनाएं घटती है।

अनिष्ट फल: जातक अर्श पर से फर्श पर पहुंच जाता है। रईसजादा होते हुए भी एक समय बिल्कुल भिखारी हो जाता है। शरीर दुर्बल हो जाता है। सभी दांत टूट जाते हैं। श्वास की सुगंध नहीं लगती। सेक्स की इच्छा बिल्कुल समाप्त हो जाती है।

उपाय: फिटकरी से दांत साफ करें। नाक अवश्य छिदवाए। सपरिवार एक एक कोडिया लेकर जलाए। तत्पश्चात् उन्हे एकत्र कर दरिया में प्रवाहित करें।

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