अग्नि कांड योग

अग्नि कांड योग

परिभाषा

किसी ऐसे ग्रह आदि पर जो किसी व्यक्ति का पूरा प्रतिनिधित्व करता हो, यदि  अग्निद्योतक ग्रहों यानी लग्नेश, पंचमेश नवमेश का प्रभाव हो तो मनुष्य को अग्नि लग जाने का भय होता है।

हेतु और फल

अग्नि के द्योतक ग्रह मंगल, सूर्य तथा केतु है। इन ग्रहों से अधिष्टीत राशियों के स्वामी भी अग्नि रुप ही है। इसी प्रकार कुंडली में प्रथम, पंचम तथा नवम भाव, अग्नि तत्व के भाव है। अतः लग्नेश, पंचमेष तथा नवमेश अपने में अग्नि का प्रभाव रखते हैं। इन तीनो भावों के स्वामी यदि नैसर्गिक जलीय ग्रह शुक्र तथा चंद्र भी हो तो भी अग्नि के ही द्योतक समझने चाहिए। हां, यदि इन भावों में जलीय ग्रह बैठा हो तो, तो जलीय ग्रह से अधिस्तिथ राशि का स्वामी जलीय प्रभाव करेगा, अग्नि प्रभाव नहीं करेगा। अतः जब लग्न, पंचम नवम भावो में कोई ग्रह न हो अथवा इनमे कोई अग्नि द्योतक ग्रह बैठा हो तो इन भावों के स्वामी जिस भाव, भावपति तथा भावकारक पर अपना प्रभाव डालेंगे उसे आग लगा देंगे।

उधारण

ऊपर दी गई कुंडली में इस व्यक्ति के स्त्री के कपड़ों तथा शरीर को आग लग गई थी। यहां लग्नेश स्वयं अग्नि रूप मंगल है, पंचमाधिपति भी अग्नि रुप सूर्य है। सूर्य में वायु का प्रभाव है। क्योंकि सूर्य शनि अधिस्तीथ राशि का स्वामी है। गुरु नवम अधिपति होने के कारण अग्नि रूप है। अब इन तीनों ग्रह -मंगल, सूर्य, गुरु का सप्तम भाव, सप्तमेश तथा सप्तम कारक शुक्र सभी पर प्रभाव है। क्योंकि मंगल और सूर्य तो शुक्र पर मध्यत्व बना रहे हैं और गुरु का शुक्र पर केंद्रीय प्रभाव है। अतः स्त्री का आग की लपेट में आना प्रमाणित होता है।

दूसरा उदाहरण

यह दूसरा उदाहरण इस बात को स्पष्ट करने के लिए दिया जा रहा है कि यद्यपि द्वादश भाव जलीय भाव है, परंतु यदि इस भाव में अग्नि ग्रह स्थित हो, तो द्वादशेश अपने में आगका प्रभाव रखेगा, न कि जल का। ऊपर दी गई कुंडली के द्वादश भाव में तीन अग्नि द्योतक ग्रह स्थित है। अर्थात मंगल, सूर्य तथा इनसे मिलकर इन्ही का रूप बुध।

इसलिए द्वादशेश शनि एक महान अग्नि द्योतक ग्रह समझा जाएगा ना कि जलिय। अब देखिए शनि की ओर। शनि की दृष्टि चार ऐसे अंगों पर है, जिनमें से प्रत्येक मृत्यु के कारण देखने में उपयुक्त है। वे चार अंग है – (i) लग्न (ii) लग्नेश (iii) अष्टम भाव (iv) अष्टम भाव का स्वामी। अतः स्पष्ट है कि अपने इस पूर्ण व्यापक प्रभाव के कारण शनि मृत्यु के कारण को दर्शाएगा। शनि जैसा कि हम अध्ययन कर चुके हैं, अग्नि रूप ही है। अतः इस व्यक्ति की मृत्यु आग द्वारा होना सिद्ध हुआ।

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