श्रीमद भागवत पुराण – कलयुग की भविष्यवाणी

श्रीमद भागवत पुराण – कलयुग की भविष्यवाणी

भागवतकथा सभी ग्रन्थों का सार है, यह तो हम जानते हैं मगर इस सार के पीछे जो रहस्य छिपा हुआ है वो कोई नहीं जानता। इस कथा में जो उपदेश अलग-अलग प्रसंगों में दिए गए है उसका पालन करना एवं उसके साथ-साथ मनुष्य जीवन में इस कथा के प्रत्येक प्रसंग के महत्व को समझकर उस पर चिंतन मनन करते हुए मनुष्य जीवन यापन करना ही मानव का धर्म है और यही भागवत पुराण सीखा रहा है।

श्रीमद् भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इस पुराण में भगवान श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में परिभाषित किया है। 18 हजार संस्कृत के श्लोकों वाली, मोक्ष प्रदान करने वाली श्रीमद्भागवत महापुराण पुराण में भक्ति, ज्ञान, तथा वैराग्य की महानता को बताया गया है। इसके ज्ञाता ऋषियों ने कहा है कि इसको सुनने मात्र से मनुष्य ही नहीं, जीव चराचर, प्राणीमात्र के जन्म-जन्मांतर समस्त के पाप नष्ट हो जाते हैं। श्रीमद्भागवत भक्तिरस तथा अध्यात्मज्ञान का समन्वित रूप माना जाता है। भागवत कल्पतरु का स्वयंफल माना जाता है जिसे नैष्ठिक ब्रह्मचारी तथा ब्रह्मज्ञानी महर्षि शुकदेव जी ने अपनी मधुर वाणी से संयुक्त कर अमृतमय बना डाला है।

लगभग 5 हजार साल पूर्व भागवत पुराण में लिखी हुई, कलियुग के संबध में भविष्यवाणियां:

1- ततश्चानुदिनं धर्मः सत्यं शौचं क्षमा दया ।

कालेन बलिना राजन् नङ्‌क्ष्यत्यायुर्बलं स्मृतिः ॥

अर्थात– कलयुग में धर्म, स्वच्छता, सत्यवादिता, स्मृति, शारीरक शक्ति , दया भाव और जीवन की अवधि दिन प्रतिदिन घटती जाएगी।

2- वित्तमेव कलौ नॄणां जन्माचारगुणोदयः ।

धर्मन्याय व्यवस्थायां कारणं बलमेव हि ॥

अर्थात– कलयुग में वही व्यक्ति गुणी माना जायेगा जिसके पास ज्यादा धन है, न्याय और कानून सिर्फ एक शक्ति के आधार पे होगा।

3- दाम्पत्येऽभिरुचि र्हेतुः मायैव व्यावहारिके ।

स्त्रीत्वे पुंस्त्वे च हि रतिः विप्रत्वे सूत्रमेव हि ॥

अर्थात– कलयुग में स्त्री-पुरुष बिना विवाह के केवल रूचि के अनुसार ही रहेंगे। व्यापार की सफलता के लिए मनुष्य छल करेगा और ब्राहुमण सिर्फ नाम के ही देखने को मिलंगे।

4- लिङ्‌गं एवाश्रमख्यातौ अन्योन्यापत्ति कारणम् ।

अवृत्त्या न्यायदौर्बल्यं पाण्डित्ये चापलं वचः ॥

अर्थात– घूस, रिस्वत देने वाले व्यक्ति ही न्याय पा सकेंगे, जो धनवान नहीं उन्हें न्याय के लिए दर-दर की ठोकरे खानी होंगी। स्वार्थी और चालाक लोगों को कलयुग में विद्वान माना जायेगा।

5- क्षुत्तृड्भ्यां व्याधिभिश्चैव संतप्स्यन्ते च चिन्तया ।

त्रिंशद्विंशति वर्षाणि परमायुः कलौ नृणाम।।

अर्थात– कलयुग में लोग कई तरह की चिंताओं में घिरे रहेंगे, लोगों को कई तरह की चिंताए सताती रहेगी और बाद में मनुष्य की उम्र घटकर सिर्फ 20-30 साल की ही रह जाएगी।

6- दूरे वार्ययनं तीर्थं लावण्यं केशधारणम् ।

उदरंभरता स्वार्थः सत्यत्वे धार्ष्ट्यमेव हि॥

अर्थात– लोग दूर के नदी-तालाबों और पहाड़ों पर तीर्थ यात्रा को जायेंगे लेकिन अपने ही माता पिता का अनादर करेंगे। सर पे बड़े बाल रखना खूबसूरती मानी जाएगी और लोग पेट भरने के लिए हर तरह के बुरे काम करेंगे।

7- अनावृष्ट्या विनङ्‌क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिताः ।

शीतवातातपप्रावृड् हिमैरन्योन्यतः प्रजाः ॥

अर्थात– कलयुग में बारिश नहीं होगी या बहुत कम होगी और हर जगह सूखा होगा, मौसम बहुत विचित्र अंदाज़ ले लेगा, कभी तो भीषण सर्दी होगी तो कभी असहनीय गर्मी, कभी आंधी तो कभी बाढ़ आएगी और इन्ही परिस्तिथियों से लोग परेशान रहेंगे।

8- अनाढ्यतैव असाधुत्वे साधुत्वे दंभ एव तु ।

स्वीकार एव चोद्वाहे स्नानमेव प्रसाधनम् ॥

अर्थात– इस युग में जिस व्यक्ति के पास धन नहीं होगा वो अधर्मी, अपवित्र और बेकार माना जाएगा। विवाह संस्कार में दो लोगों के बीच बस एक समझौता होगा और लोग बस स्नान करके समझेंगे की वो अंतरात्मा से शुद्ध हो गए हैं।

9- दाक्ष्यं कुटुंबभरणं यशोऽर्थे धर्मसेवनम् ।

एवं प्रजाभिर्दुष्टाभिः आकीर्णे क्षितिमण्डले ॥

अर्थात– धर्म-कर्म के काम केवल लोगों के सामने अच्छा दिखने और दिखावे के लिए किए जाएगे। पृथ्वी भ्रष्ट लोगों से भर जाएगी और लोग सत्ता हासिल करने के लिए एक दूसरे को मारेंगे, काटेंगे।

10- आच्छिन्नदारद्रविणा यास्यन्ति गिरिकाननम् ।

शाकमूलामिषक्षौद्र फलपुष्पाष्टिभोजनाः ॥

अर्थात– अकाल और अत्याधिक करों के कारण परेशान लोग घर छोड़ सड़कों व पहाड़ों पर रहने को मजबूर हो जाएंगे, साथ ही पत्ते, जड़, मांस, जंगली शहद, फूल और बीज खाने को मजबूर हो जाएंगे।

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