शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम…!!

शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम…!!

१) गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं

२) देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं

३) शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं

४) विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं

५) दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें

६) मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें

७) तुलसी पत्र चबाकर न खाएं

८) द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें

९) दर्शन करके बापस लौटते समय घंटा न बजाएं

१०) एक हाथ से आरती नहीं लेना चाहिए

११) ब्राह्मण को बिना आसन बिठाना नहीं चाहिए

१२) स्त्री द्वारा दंडवत प्रणाम वर्जित है

१३) बिना दक्षिणा ज्योतिषी से प्रश्न नहीं पूछना चाहिए

१४) घर में पूजा करने अंगूठे से बड़ा शिवलिंग न रखें

१५) तुलसी पेड़ में शिवलिंग किसी भी स्थान पर न हो

१६) गर्भवती महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना है

१७) स्त्री द्वारा मंदिर में नारियल नहीं फोडना है

१८) रजस्वला स्त्री का मंदिर प्रवेश वर्जित है

१९) परिवार में सूतक हो तो पूजा प्रतिमा स्पर्श न करें

२०) शिव जी की पूरी परिक्रमा नहीं किया जाता

२१) शिव लिंग से बहते जल को लांघना नहीं चाहिए

२२) एक हाथ से प्रणाम न करें

२३) दूसरे के दीपक में अपना दीपक जलाना नहीं चाहिए

२४.१)चरणामृत लेते समय दायें हाथ के नीचे एक नैपकीन रखें ताकि एक बूंद भी नीचे न गिरे

२४.२) चरणामृत पीकर हाथों को शिर या शिखा पर न पोछें बल्कि आंखों पर लगायें शिखा पर गायत्री का निवास होता है उसे अपवित्र न करें

२५) देवताओं को लोभान या लोभान की अगरबत्ती का धूप न करें

२६) स्त्री द्वारा हनुमानजी शनिदेव को स्पर्श वर्जित है

२७) कुँवारी कन्याओं से पैर पड़वाना पाप है

२८) मंदिर परिसर में स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग दें

२९) मंदिर में भीड़ होने पर  लाईन पर लगे हुए भगवन्नामोच्चारण करते रहें एवं अपने क्रम से ही  अग्रसर होते रहें

३0) शराबी का भैरव के अलावा अन्य मंदिर प्रवेश वर्जित है

३१) मंदिर में प्रवेश के समय पहले दाहिना पैर और निकास के समय बाया पांव रखना चाहिए

३२)घंटी को इतनी जोर से न बजायें कि उससे कर्कश ध्वनि उत्पन्न हो

३४)हो सके तो मंदिर जाने के लिए एक जोड़ी वस्त्र अलग ही रखें

३५) मंदिर अगर ज्यादा दूर नहीं है तो बिना जूते चप्पल के ही पैदल जाना चाहिए

३६) मंदिर में भगवान के दर्शन खुले नेत्रों से करें और मंदिर से खड़े खड़े वापिस नहीं हों, दो मिनट बैठकर भगवान के रूप माधुर्य का दर्शन लाभ लें

३७) आरती लेने अथवा दीपक का स्पर्श करने के बाद हस्तप्रक्षालन अवश्य करें

इन सभी बताई गई बातें हमारे ऋषि मुनियों से परंपरागत रूप से प्राप्त हुई है।

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