लालकिताब : शराब पीने या मांस खाने से क्या होता है?

लालकिताब : शराब पीने या मांस खाने से क्या होता है?

लाल किताब में शराब पीने और मांस या मटन खाने के संबंध में नियम मिलते हैं। यहां लाल किताब के अनुसार सामान्य जानकारी दी जा रही है।

मंगल : लाल किताब के अनुसार मंगल हमारा रक्त और भाई है। मंगल अच्छा है तो व्यक्ति राजनेता, पुलिस अफसर, इंजीनियर या मैनेजर बनेगा। लेकिन यदि खराब है तो व्यक्ति अपराधी, गुंडा या डाकू बनेगा या उससे भी नीचे गिर जाएगा। उक्त में से कुछ भी नहीं है तो हर समय क्रोध करने वाला, व्यर्थ ही गुस्सा दिखाने वाला मूर्ख व डरपोक व्यक्ति होगा।

यदि कुंडली में मंगल की स्थिति ठीक नहीं है, तो मांस-मछली नहीं खाना चाहिए। कहते हैं कि खून खराब होने से मंगल खराब हो जाता है। मंगल के खराब होने से जीवन से पराक्रम, कार्य और शांति नष्ट हो जाती है। खून के खराब होने से और भी कई तरह की समस्याएं जन्मती हैं। बद मंगल अपराधी बनाता है और नेक मंगल सेनापति, राजनेता, पुलिस ऑफिसर या बेहतर खिलाड़ी।

यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति जिस तरह का मांस खाता है, उसका उसी तरह का चरित्र और प्रवृत्ति का विकास होता है। जो बच्चे मां का दूध कम पीते हैं और जानवरों का ज्यादा, उनकी कार्यशैली में जानवरों जैसा ही व्यवहार देखा जा सकता है। दरअसल, मांस-मच्छी खाने से व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क की प्रकृति बदल जाती है। उसकी सोच बदल जाती है। सोच बदलती है तो वर्तमान बदलता है। वर्तमान बदलता है तो भविष्य भी बदल जाता है।

शनि : लाल किताब के अनुसार शरीर में शनि हड्डी, नाभि, फेंफड़े, बाल, आंखें, भवें, कनपटी, नाखून, घुटने, ऐडी, स्नायु और आंत। मूल स्थान नाभि है जो की जीवन को संचालित करती है। शनि खराब तो उपरोक्त सभी कुछ खराब। शराब पीने से यह सभी खराब हो जाते हैं।

जिस तरह से मांस खाने से मंगल खराब होता है, उसी तरह शराब पीने से शनि और राहु । राहु हमारे दिमाग की ताकत है, दिमाग नहीं। जैसे बादल में बिजली होती है, जो दिखाई नहीं देती लेकिन जब किसी पर गिरती है, तो जान ले लेती है। चमकी है तो अंधा कर सकती है। क्या शराब दिमाग पर शासन नहीं करती?

बुध : बुध ग्रह हमारी बुद्धि का कारण है, लेकिन जो ज्ञान हमारी बुद्धि के बावजूद पैदा होता है उसका कारण राहु है जैसे मान लो कि अकस्मात हमारे दिमाग में कोई विचार आया या आइडिया आया तो उसका कारण राहु है। राहु हमारी कल्पना शक्ति है, तो बुध उसे साकार करने के लिए बुद्धि कौशल पैदा करता है। राहु चलता है गुरु के कारण। राहु का खराब होना अर्थात व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज होगा। ऐसे व्यक्ति की तरक्की की शर्त नहीं। राहु का खराब होना अर्थात दिमाग की खराबियां होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है। कहते हैं कि शराब जिंदा आदमी को शैतान बना देती है, लेकिन हम कहना चाहेंगे कि वह राहु बना देती है। राहु खराब तो गुरु भी नष्ट समझो। गुरु नष्ट तो भाग्य और भविष्य भी नष्ट ही समझो। जिंदगी तो चलेगी लेकिन राहु की तरह, जैसे पिशाच, भूत या औघड़ की भी जिंदगी चलती रही है।

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