ज्योतिष में कुंडली से जुड़े कुछ दोष होते हैं जो जीवन में किसी कांटें के समान चुभते हैं। कालसर्प दोष एक ऐसा ही दोष, जिसके होने पर बने-बनाए काम बिगड़ने लगते हैं। इसे दूर करने का सरल और प्रभावी उपाय जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख।
ज्योतिष के अनुसार किसी भी कुंडली में पाया जाने वाला कालसर्प दोष अत्यंत ही कष्टकारी योग होता है। राहु और केतु के कारण होने वाले कालसर्प दोष का जिक्र आते ही लोगों का मन घबराने लगता है क्योंकि इस दोष के कारण जीवन में तमाम तरह की परेशानियां आती हैं। कालसर्प दोष के कारण बने बनाए काम बिगड़ने लगते हैं।
कुंडली में कब बनता है काल सर्प दोष?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच जब सभी ग्रह आ जाते हैं तब काल सर्प दोष नामक योग का निर्माण होता है।
काल सर्प दोष के लक्षण
जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष होते हैं इस व्यक्ति को अक्सर सपने में मृत लोग दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं कुछ लोगों को तो यह भी दिखाई देता है कि कोई उनका गला दबा रहा हो।
जिस व्यक्ति के जीवन में काल सर्प दोष होता है उसे जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है और जब उसको जरुरत होती है तब उसे अकेलापन महसूस होता है।
कालसर्प से पीड़ित व्यक्ति के कारोबार पर काफी नकारात्मक असर पड़ता है। इसे व्यापार में बार बार हानी का सामना करना पड़ता है।
इसके अलावा नींद में शरीर पर सांप को रेंगते देखना, सांप को खुद को डसते देखना।
बात-बात पर जीवनसाथी से वाद विवाद होना। यदि रात में बार बार आपकी नींद खुलती है तो यह भी काल सर्प दोष का ही लक्षण है।
इसके अलावा काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को सपने में बार-बार लड़ाई झगड़ा दिखाई देता है।
काल सर्प दोष के कारण व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होता है। साथ ही सिर दर्द, त्वचारोग आदि भी कालसर्प दोष के लक्षण है।
कालसर्प दोष दूर करने के लिए करें ये महाउपाय
कालसर्प दोष से बचने के लिए भगवान गणेश की साधना अत्यंत फलदायी है। गणपति केतु की पीड़ा शांत करते हैं और देवी सरस्वती उनकी पूजा करने वालों की राहु से रक्षा करती हैं।
प्रतिदिन भैरवाष्टक का पाठ करने से कालसर्प दोष से जुड़े कष्टों से मुक्ति मिलता है।
कालसर्प दोष को दूर करने के लिए रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करना चाहिए। साथ ही दशांश हवन भी करना चाहिए।
महाशिवरात्रि, नाग पंचमी, ग्रहण आदि के दिन शिवालय में नाग नागिन का चांदी या तांबे का जोड़ा अर्पित करें।
सांप को पकड़े हुए मोर या गरुड़ देवता का चित्र अपने पूजा घर में लगाकर प्रतिदिन दर्शन करें और नव नाग स्तोत्र – ”अनंत वासुकि शेष पद्मनाम च कंबल शंखपाल धार्तराष्ट्र कालिये तथा. एतानि नवनामानि नागानां च महात्माना सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातः काले विशेषतः”का जप करें।
काल सर्प दोष से बचने के लिए कालसर्प योग के लिए विशेष रूप से प्राणप्रतिष्ठित एवं अभिमंत्रित अंगूठी को बुधवार के दिन कनिष्ठा अंगुली में धारण करें। साथ ही साथ उस दिन राहु की सामग्री का अपने सामथ्र्य के अनुसार दान भी करें।
कालसर्प दोष को दूर करने के लिए प्रत्येक बुधवार को काले वस्त्र में एक मुट्ठी उड़द या मूंग डाल कर, राहु मंत्र का जप करें और किसी जरूरत मंद को उसे दान कर दें। यदि कोई जरूरतमंद न मिले तो उसे मूंग को बहते हुए जल में डाल दें। इस उपाय को 72 बुधवार को करने पर चमत्कारिक रूप से लाभ मिलता है।
कुंडली में कालसर्प दोष को दूर करने के लिए शिवलिंग पर तांबे का एक बड़ा सर्प बनवाकर चढ़ाएं। साथ ही साथ सर्प-सर्पिणी का चांदी का जोड़ा बनवाएं। तांबे के सर्प को प्राण प्रतिष्ठित कर ब्रह्म मुहूर्त में शिवालय पर चढ़ा आएं और सर्प-सर्पिणी के चांदी के जोड़े को बहते पानी में छोड़ दें।
कुंडली में कालसर्प दोष को दूर करने के लिए नाग की पत्थर की प्रतिमा बनवाएं और उसकी किसी शिवालय में प्राण प्रतिष्ठा करवाएं।