आकस्मिक (लॉटरी) धनयोग

आकस्मिक (लॉटरी) धनयोग

लॉटरी और सट्टा यूं तो बुरी आदतें कही जाती हैं। कहते हैं कि ये लत लग जाए तो आदमी को कंगाल होते देर नहीं लगती। लेकिन इन्हें किस्मत से इसलिए जोड़ा जाता है क्योंकि कब किसकी लॉटरी लग जाए कहा नहीं जा सकता। लेकिन कुंडली में मौजूद एक ग्रह ऐसा है जो मेहरबान हो जाए तो लॉटरी निकल जाती है और जातक मालामाल हो जाता है।

जी हां, हम बात कर रहे हैं राहू ग्रह जिसे ज्योतिष शास्त्र में यूं जातकों को परेशान करने वाला पापी ग्रह माना जाता है लेकिन अगर ये कुंडली में सही जगह पर बैठ जाए तो किस्मत चमका देता है।

जन्म कुंडली का अष्टम स्थान गुप्त रहस्य व गुप्त धन का होता है। इस स्थान में जब धनेष या लाभेष स्थित हो तथा अष्टमेश बलवान हो तो व्यक्ति को जीवन में ऐसा मौका अवश्य मिलता है जब वह अचानक से धन प्राप्त करता है।

कुंडली के पंचम भाव से लॉटरी में धन प्राप्ति का विचार किया जाता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि नवम भाव से गणना करने पर पंचम भाव नवम भाव बनता है और नवम भाव भाग्य का भाव होता है। और भाग्य हम उसे कहते हैं जिसमें कर्म पर विश्वास नहीं कर  देव योग से अचानक विशेष लाभ की प्राप्ति होना पर विश्वास करते हैं। और लॉटरी का धन हमें देव योग अथवा संयोग मात्र से प्राप्त होता है। इस कारण पंचम भाव से हम लॉटरी में धन प्राप्ति का विचार करते हैं। दूसरा कारण यह होता है कि लॉटरी का धन एक प्रकार से जनता का धन होता है और जन्म कुंडली में जनता का विचार हम चतुर्थ भाव से करते हैं और चतुर्थ से दूसरा भाव बनता है पंचम जो कि धन का भाव सिद्ध होता है। इस दृष्टि से भी पंचम भाव लॉटरी का भाव सिद्ध होता है। पंचम स्थान मंत्र व जिज्ञासा का है यदि इस स्थान का स्वामी धन स्थान पर लाभेष के साथ स्थित हो तो जातक को सट्टे द्वारा धन लाभ प्राप्त होता है।

यदि जन्म कुंडली में राहु धन, पंचम,अष्टम या लाभ स्थान पर बली होकर स्थित हो तो जातक की इंकम गुप्त मार्गों से आती है।

लॉटरी की धन प्राप्ति में दूसरा एक प्रमुख सिद्धांत यह होता है कि लॉटरी के धन की हम अपेक्षा नहीं करते हैं अपितु एकाएक उसकी प्राप्ति हमें होती है और ज्योतिष शास्त्र में सडनली घटनाओं का कारक राहु व केतु को माना जाता है। अतः जब जातक की जन्म कुंडली में राहु और केतु का योग पंचम भाव से होता है तो अचानक लॉटरी लगने का योग बनता है। इसके अतिरिक्त यदि राहु और केतु का संबंध धन भाव अर्थात द्वितीय भाव व नवम भाव से भी होता है तो यह लौटरी योग कुछ हद तक बनता है।

अगर कुंडली में राहू अनुकूल फल नहीं दे रहा तो राहू को मजबूत करने के लिए क्या करें –

  1. छोटे पक्षियों को रोज सुबह बाजरा खिलाने पर राहू मजबूत होता है।
  2. ऊं रां राहवे नम: मंत्र का नियमित तौर पर जाप करें।
  3. पंचधातु या लोहे की अंगुठी में नौ रत्ती का गोमेद जड़वा कर शनिवार को राहु के बीज मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करके दांये हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करने पर भी राहू अनुकूल होता है।
  4. रोज सुबह दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

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