हिंदू धर्म में सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित है । मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि हनुमान जी भगवान शिव के रुद्रावतार हैं और भगवान श्री राम के परम भक्त। मंगलवार के दिन पूरी श्रद्धा से पूजा करने से भक्तों के जीवन में सब कुछ मंगल होता है। अगर कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करता है तो उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं, विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।
हनुमान जी एक ऐसे देवता है जो कलयुग में भी पृथ्वी पर विराजमान हैं। भगवान हनुमान की पूजा आराधना करने से मनुष्य हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है। इनकी पूजा करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। ज्यादातर लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। यह तो फायदेमंद होता ही है साथ ही अगर बजरंग बाण का पाठ किया जाए तो इससे भक्तों को बजरंगबली की असीम कृपा प्राप्त होती है। इस पाठ को करने से आप कई तरह की समस्याओं से निजात पा सकते हैं, लेकिन बजरंग बाण का पाठ करते समय आपको इसकी विधि, नियम और सावधानियों के बारे में पूरी जानकारी होना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं बजरंग बाण का पाठ करने की विधि और नियम के बारे में।
भगवान हनुमान प्रभु श्री राम के परम् भक्त हैं, इसलिए बजरंग बाण में मुख्य रूप से भगवान् राम की भी सौगंध के लिए कुछ पंक्तियां दी गई है। ऐसा माना जाता है कि जब भी आप श्री राम का सौगंध लेंगें, तो हनुमान जी आपकी मदद जरूर करेंगे। इसलिए पाठ में इन पक्तियों के जरूर पढ़ना चाहिए।
इस प्रकार हैं प्रभु श्रीराम की सौंगध की पंक्तियां:
भूत प्रेत पिशाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर
इन्हें मारु,तोहिं सपथ राम की। राखु नाथ मर्याद नाम की।
जनक सुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ विलम्ब न लावौ।
उठु उठु चलु तोहिं राम दोहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।।
बजरंग बाण के पाठ की विधि
बजरंग बाण पाठ मंगलवार से शुरू करना चाहिए
मंगलवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें
पूजा स्थान पर भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित करें
भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय हैं. इसलिए बजरंग बाण का आरंभ करते समय सर्वप्रथम गणेश जी की आराधना करें
इसके बाद भगवान राम और माता सीता का ध्यान करें
उसके बाद हमुमान जी को प्रणाम करके बजरंग बाण के पाठ का संकल्प लें
हनुमान जी को फूल अर्पित करें और उनके समक्ष धूप, दीप जलाएं
कुश से बना आसन बिछाएं और उस पर बैठकर बजरंग बाण का पाठ आरंभ करें
पाठ पूर्ण हो जाने के बाद भगवान राम का स्मरण और कीर्तन करें
हनुमान जी को प्रसाद के रूप में चूरमा, लड्डू और अन्य मौसमी फल अर्पित कर सकते हैं
बजरंग बाण के नियम
जितनी बार बजरंग बाण पाठ का संकल्प लें, उतनी बार रुद्राक्ष की माला से पाठ करें, अगर आप गिनती याद रख सकते हैं तो बिना माला के भी जाप कर सकते हैं
बजरंग का बाण पाठ करते समय ध्यान रखें कि शब्दों का उच्चारण साफ और स्पष्ट होना चाहिए
अगर आप किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए बजरंग बाण का पाठ कर रहे हैं तो कम से कम 43 दिनों तक यह पाठ नियमपूर्वक करें
पाठ के दिनों में दौरान विशेष रूप से लाल रंग के कपड़े धारण करें
आपको जितने दिन तक बजरंग बाण का पाठ करना हो उतने दिनों में ब्रह्मचर्य का पूर्णतया पालन करना जरूरी है
जितने दिन भी आपको बजरंग बाण का पाठ करना हो उतने दिनों तक किसी प्रकार का नशा या तामसिक चीजों का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए
इन स्थितियों में कभी भूलकर भी न करें बजरंग बाण का पाठ :
कभी किसी का बुरा करने की कामना के साथ बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए.
किसी भी अनैतिक कार्य की पूर्ति के लिए या फिर किसी से विवाद की स्थिति में विजय पाने के लिए बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए.
कर्म करना जीवन में बहुत आवश्यक होता है इसलिए बिना प्रयास के ही किसी कार्य में सफलता पाने के उद्देश्य से बजरंग बाण का पाठ न करें
धन, ऐश्वर्य या किसी भी भौतिक इच्छा की पूर्ति के लिए बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए
बजरंग बाण का पाठ करने के लाभ
यदि आप शत्रुओं व विरोधियों से बहुत परेशान है तो प्रत्येक मंगलवार को 11 बार बजरंग बाण का पाठ करें।
बजरंग बाण का नियमित पाठ करने से आत्म-विश्वास व साहस में वृद्धि होती है।
ह्रदय रोगियों व ब्लड प्रेशर के रोगियों को बजरंग बाण का पाठ करने से स्वास्थ्य में विशेष लाभ होता है।
जो बच्चे कमजोर है या किसी को काम को करने से पहले डर से जाते है, उन्हें बजरंग बाण का पाठ करवाना चाहिए।
अगर हर कार्य में अड़गे लग रहे है तो शनिवार के दिन 21 बार बजरंग बाण का पाठ करने से फायदा होता है।
अगर आप कहीं साक्षात्कार देने जा रहे है तो 5 बार बजरंग बाण का पाठ करके जाइये सफलता मिलेगी।
यदि आपके व्यापार में निरंतर हानि हो रही है तो अपने व्यापार स्थल पर लगातार 8 मंगलवार बजरंग बाण का पाठ करें या किसी योग्य कर्मकाण्डी पंडित से करवायें। लाभ अवश्य मिलेगा।
बजरंग बाण
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।
जनके काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर यमकातर तोरा।
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर मह भई।
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुख करहु निपाता।
जय गिरिधर जय जय सुखसागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले।
गदा बज्र लै बैरिहि मारो। महारज प्रभु दास उबारो।
ओंकार हुंकार महाबीर धावो। वज्र गदा हनु बिलम्ब न लावो।
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।
सत्य होहु हरि शपथ पायके। राम दूत धरु मारु जायके।
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दा तुम्हारा।
वन उपवन मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।
पांय परौं कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकर सुवन वीर हनुमंता।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रति पालक।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर।
इन्हें मारु तोहिं सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।
जनक सुता हरिदास कहावो। ताकी सपथ विलंब न लावो।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुख नाशा।
चरण-शरण कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।
उठु-उठु चलु तोहिं राम दोहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।
ओम चं चं चं चं चपल चलंता। ओम हनु हनु हनु हनु हनुमंता।
ओम हं हं हांक देत कपि चंचल। ओम सं सं सहमि पराने खल दल।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होत आनंद हमारो।
यहि बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहो फिर कौन उबारे।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करैं प्राण की।
यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपै।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तनु नहिं रहे कलेशा।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज शकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
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