जब प्रतिपदा को मूल नक्षत्र,
पंचमी को भरणी,
अष्टमी को कृतिका,
नवमी को रोहिणी तथा
दशमी को आश्लेषा नक्षत्र आता है,
तो ज्वालामुखी योग बनता है ।
ज्वालामुखी योगानुसार यदि बालक इस योग में पैदा हो तो उसे अरिष्ट योग होता है, तलाक होता है,यदि बीज बोया जाये तो सुखा पड़ता है, यदि ज्वालामुखी योग में कुआँ होता है, यदि रोगग्रस्त हो तो जल्दी ठीक नहीं होता। ज्वालामुखी योग में कारोबार, प्रवेश, व्यापार आदि कार्य नहीं करने चाहिये,
निम्नलिखित लोकोक्ति प्रचलित है,
जन्मे तो जीवे नहीं, बसे तो उजड़े गाँव,
बोवे तो काटे नाही कुए उपजे न नीर।।
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