आयुर्वेदिक ग्रंथों में गूलर का पेड़ हेमदुग्धक, जन्तुफल, सदाफल आदि नामों से प्रसिद्ध है। इसके तने या डाल आदि में किसी भी स्थान पर चीरा लगाने से सफेद दूध निकलता है। दूध को थोड़ी देर रखने पर पीला हो जाता है, इसलिए इसे हेमदुग्धक कहा जाता है। गूलर के फलों में ढेर सारे कीड़े होने के कारण इसे जन्तुफल कहा जाता है।
सनातन धर्म में पेड़ों के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। हिंदू धर्म में पीपल, तुलसी, बरगद, शमी जैसे कई पेड़-पौधों को बहुत पूजनीय स्थान दिया गया है। मान्यता है कि पेड़-पौधों में दैवीय गुण विद्दमान होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में जैसे नवग्रह से संबंधित नवरत्नों का वर्णन किया गया है। ऐसे ही नवग्रह का संबंध किसी न किसी पेड़ से बताया है, जैसे- शनि ग्रह का संबंध शमी के पेड़ से होता है। ऐसे ही सूर्य ग्रह का संबंध बेल के पेड़ से बताया गया है। इन्हीं वृक्षों में से एक गूलर का वृक्ष है। इस वृक्ष का संबंध शुक्र ग्रह से होता है। कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए गूलर के पेड़ से जुड़े कुछ उपाय आपके लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं। मान्यता है कि यदि गूलर के वृक्ष में नियमित रूप से जल चढ़ाया जाए या इसके नीचे दीपक जलाकर रखा जाए तो आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है। साथ ही धन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं। दरअसल, शुक्र को धन और विलासता का ग्रह माना गया है। कहा जाता है कि जिसकी कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में रहता है, वहां धन और ऐश्वर्य की कभी कमी नहीं होती, लेकिन जिसकी कुंडली में शुक्र कमजोर होता है वहां गरीबी और कंगाली छाती है। तो चलिए आज जानते हैं गूलर के वृक्ष से जुड़े कुछ लाभकारी उपाय जो आपको धनवान बनाने के साथ ही आपकी परेशानियों को भी दूर करेंगे…
गूलर की जड़ को धारण करने के फायदे
वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए गूलर की जड़ को हाथ में बांध सकते हैं। इसके साथ ही गुप्त रोगों से मुक्ति भी मिल जाती है। ज्योतिष के अनुसार यदि प्रेम विवाह करने में अड़चनें आ रही हैं तो गूलर के पेड़ की जड़ को किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन निकालकर घर ले आएं, तत्पश्चात गंगाजल छिड़क कर उसे पवित्र कर लें। फिर मन में अपनी इच्छा का स्मरण करते हुए उस जड़ को चांदी के ताबीज में रखकर पहन लें। साथ ही साथ सुख-सुविधाओं में वृद्धि हो सकती है। जो लोग कला, मीडिया, फिल्म या फिर फैशन से जुड़े लोगों के लिए ये जड़ बेहद ही शुभ साबित होती है। इसलिए गूलर की जड़ बांधने से व्यक्ति को वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति हो सकती है।
कौन-कौन बांध सकता है गूलर की जड़
ज्योतिषों के मुताबिक वृष, मिथुन, कन्या, मकर, तुला और कुंभ लग्न में जन्मे जातक बांध सकते हैं। साथ ही वृष और तुला लग्न और राशि के व्यक्ति भी गूलर की जड़ बांध सकते हैं। क्योंकि इन राशियों पर शुक्र देव का स्वामित्व यानि राज है। साथ ही अगर जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह सकारात्मक स्थिति में हैं तो भी इस जड़ को बांधा जा सकता है।
जड़ को बांधने की सही विधि
मान्यताओं के हिसाब से गूलर की जड़ पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में खरीदकर लानी चाहिए। इस जड़ को शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को इसे बांधने से पहले सूर्योदय के पूर्व गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। साथ ही सफेद कपड़े में जड़ को बांधकर गले में या हाथ में धराण किया जा सकता है। और इसे धारण करते वक्त शुक्र देव के बीज मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।